ऑफिस में या जॉब के दौरान ऐसे बहुत से अवसर आते हैं जब हम अपने बॉस के साथ लंच या डिनर पर जाते हैं। वहां जा कर हमें क्या बात करनी चाहिए और कौन सी बातों को नहीं करना चाहिए यह उल्झन हमेशा ही बनी रहती हैं। आप की बातें आप के बॉस पर आप का कैसा प्रभाव डालती हैं, इस बात की सभी को हमेशा चिंता सताते रहती है।
बॉस के साथ खाने के समय या किसी भी इनफॉर्मल समय में आपको निम्न प्रकार की बातों से परहेज़ करना चाहिए।
1. ज़्यादा पर्सनल ना हों :- अगर आपको आपके बॉस के साथ बैठ कर भोजन करने का अवसर मिला है तो इसका मतलब यह नहीं की वो आप के मित्र बन गए हैं। उनसे अपनी और उनके पर्सनल बातें तब तक ना करे जब तक वो इसकी किसी तरह से हामी नहीं भर देते। अपनी लिमिट्स को भूलें नहीं। आप की निजी जिंदगी और उनकी निजी ज़िन्दगी में ज़मीन आसमान का फर्क हो सकता है और इन सब बातों को छेड़ना बतमीजी मानी जा सकती है।
2. पक्षपात से बचें :- एक स्वाभाविक बहस मुदो को जीवंत कर देती है पर ऐसा मुद्दा ना छेड़े जो किसी के धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुचाए। इस तरह की बहस कभी अन्त तक नहीं पहुचती पर ऐसी बहस आप का इम्प्रैशन ख़राब कर सकती है। मुद्दा वही अच्छा जिसका कोई अन्त निकल जाए इसी लिए काम से जुड़े मुददों को ही प्राथमिकता दें।
3. सहकर्मियों की गलतियाँ ना निकाले :- बॉस के साथ का मतलब सहकर्मियों की गलतियों का बखान करना और चुगली लगाना नहीं है। याद रखें बॉस केवल कुछ समय के लिए साथ है और सहकर्मी सारा दिन आप के साथ रहते हैं उनकी गलतियाँ निकालने से अच्छा है अपनी खूबियाँ बताना।
4. पहले तोलें फिर बोले :- बॉस के सामने कुछ भी बोलने से पहले सोच लें कभी कभी हम आदत से मजबुर होकर गलत बोल जाते हैं जैसे कभी कभी बॉस का कोई नाम रखा होता है और बेपरवाही में वही नाम बोल देते हैं। ऐसे बातों से बच कर रहना ही बेहतर होता है।
5 . मक्खन घर पर ही रहने दें :- चापलूसी करना कुछ लोगों की आदत में होता है. पर हम एक बात भूल जाते हैं के अगर सामने बैठा सख़्श हमारा बॉस है तो उसको जानकारी हमसे ज़्यादा ही होगी। मक्खन लगाने से कोई काम सिद्ध नहीं होता उल्टे आप की रेप्युटेशन ख़राब होती है।
6. मज़ाक सोच समझ कर ही अच्छे लगते हैं :- डिनर के वक़्त गन्दी टॉयलेट या इसी तरह के जोक्स अच्छे नहीं लगते। आप खाना खा रहे हो तो मज़ाक सोच समझ कर करना अच्छा रहता है। स्तिथि देख कर बात करने वाला समझदार कहलाता है।
7. सम्मान सबको अच्छा लगता है :- अपनी बात रखना अच्छा है पर दुसरो की बात को नकारना और गलत रिस्पॉन्स देना अच्छा नहीं माना जाता। \”जो भी कहो \” , \” मुझे फर्क नहीं पड़ता \”, \”तुम्हारे सोचने से क्या होता है \” इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल करना गलत है और ये सब ना इस्तेमाल हों इसका ख्याल रखना आप की ज़िम्मेदारी है।
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आशा है आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा , उम्मीद है भविष्य में इन बातों का जरूर ध्यान रखेंगे