भारतीयों का आभूषण प्रेम किसी से छुपा नहीं है और यदि आभूषण gold का हो तो ये प्रेम और अधिक गहरा हो जाता है | भारत में त्योहारो पर सोना (gold )खरीदना शुभ मन जाता है | जैसे जैसे दिवाली का त्योहार नजदीक आ रहा है वैसे वैसे सोने के आभूषणों की दुकानों की और लोगों का विशेषकर महिलाओं का आकर्षण बढ़ता जा रहा है | भारतीय महिलाओं के लिए उनके सोने के आभूषण एक asset होते है जो पीढी दर पीढी परिवार में बेटी या बहु को दिए जाते है | इन आभूषणों को किसी बुरे समय के लिए भी बचा कर और संभाल कर रेखा जाता है |
अब अगर आपने अपने लिए सोने के किसी जेवर को खरीदा 22 कैरट के दाम में और जब आप उस आभुषण को बेचने गये तो पता चला कि ये तो 18 कैरट का है | ऐसे में आप खुद को ठगा हुआ महसूस करेंगे | हालाँकि केन्द्रीय सरकार ने सोना खरीदते समय उपभोक्ताओ को जागरूक रखने के लिए hallmarking सिस्टम शुरू किया है लेकिन बहुत कम लोग ही इसे देखते है |
इसलिए जानते है ऐसी कुछ बातें जिनका ध्यान रखने से आप सोने के खरीद में होने वाले धोखे से खुद को बचा सकते है |
BIS हॉलमार्क : BIS एक्ट के अनुसार एक एजेंसी जेव्ल्लेर्स द्वारा रखी गयी सभी गोल्ड ज्वेलरी कि शुद्धता की जाँच करेगी कि उस आभूषण में यूज़ किया गया सोना शुद्धता के राष्ट्रिय व अन्तराष्ट्रीय मानको पर खरा उतरता है कि नहीं | ध्यान देने वाली बात ये है कि ऐसी सभी ज्वेलरी जिस पर BIS मार्क है वो 22 कैरट की हो ऐसा जरूरी नहीं है | 22 से कम कैरट की ज्वेलरी पर भी BIS मार्क हो सकता है | यदि कोई सुनार आपको बिना BIS मार्क के आभूषण सस्ते दामों में बेच रहा है तो हो सकता है कि आप अशुद्ध सोने के आभूषण खरीदने जा रहे हो इसलिए ऐसी गलती न करें |
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सोने की शुद्धता : सोने के आभूषण में सोने की शुद्धता उसके कैरट से पता चलती है | 24 कैरट का सोना सबसे शुद्ध होता है लेकिन इससे आभूषण नहीं बनते | ज्वेलरी को बनाने में 22 कैरट का सोना लगता है | अगर सोने के आभूषण में हीरा लगाना हो तो सोने का कैरट कम होता जाता है | जितना कम सोने का कैरट होगा उतनी ही अशुधि उस सोने में होगी | BIS हालमार्क के अलावा आभूषण पर उसका कैरट भी मेंशन होता है | ये आपको नंबर के रूप में अपनी ज्वेलरी पर मिलेगा |
Cash Recipt: इन दोनों जरूरी बातों का ध्यान रखने के साथ ही ज्वेलर्स से अपने आभूषण का बिल लें न भूलें | अगर आपको अपने आभूषण में किसी प्रकार की कोई कमी पाते है तो भी आप तब तक कोई शिकायत नहीं दर्ज करा सकते जब तक कि आपके पास उस आभूषण का बिल नहीं होगा |
Hallmarking सेण्टर : भारत में फिलहाल 350 hallmarking सेण्टर है और हर सेण्टर का अपना यूनिक लोगो है | आपकी ज्वेलरी किस सेण्टर से मार्क हुई है इसकी जानकारी भी उसी पर अंकित होती है |
इसके साथ ही आप ये भी जान सकते है कि आपकी ज्वेलरी को कब हालमार्क का अंकन मिला | लेकिन ये सभी जानकारी देखने के लिए आपको magnifier ग्लास का यूज़ करना पड़ेगा क्यूंकि ये बहुत ही छोटे रूप में अंकित होती है |
अगली बार जेब भी आप आभूषण लेने जाएँ तो इन बातों का ध्यान रखे और अपने गोल्ड को ज्वेलरी और निवेश दोनों के रूप में सुरक्षित रखें |