नौकरीपेशा लोगों के लिए ईपीएफ सेविंग का एक बड़ा और महत्वपूर्ण जरिया है. आज इन लोगों को बड़ा झटका तब लगा जब कर्मचारी भविष्य निधि पर मिलने वाले ब्याज को कम कर दिया गया. कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने 2016-17 के लिए भविष्य निधि जमा पर 8.65 प्रतिशत ब्याज दर तय की है. बेंगलुरु में सीबीटी की बैठक में इस बाबत फैसला लिया गया. कर्मचारियों के लिए यह निश्चित तौर पर बुरी खबर है क्योंकि पीएफ पर यह ब्याज दर पिछले साल के मुकाबले कम है. पिछले साल यह 8.8 फीसदी थी. ईपीएफओ के अंशधारकों की संख्या चार करोड़ से अधिक है और इस फैसले से ये सभी लोग प्रभावित होंगे.
हर महीने नौकरीपेशा व्यक्ति की सैलरी का 12 फीसदी हिस्सा इस अकाउंट में चला जाता है. कर्मी के कंट्रीब्यूशन का एक हिस्सा एंप्लॉयी पेंशन स्कीम (ईपीएस) में भी जाता है.
पहले भी घट चुकी हैं ब्याज दरें:
ऐसा पहली बार नहीं हैं कि कर्मचारी भविष्य निधि का ब्याज कम किया गया हों. इससे पहले वित्त मंत्रालय ने इसी साल 2015-16 के लिए ईपीएफ पर ब्याज दर को घटाकर 8.7 प्रतिशत कर दिया था, जबकि श्रम मंत्री की अगुवाई वाली सीबीटी ने 8.8 प्रतिशत ब्याज की मंजूरी दी थी। ट्रेड यूनियनों के विरोध के बाद सरकार ने अपना फैसला वापस ले लिया था और अंशधारकों को 8.8 प्रतिशत ब्याज देने को सहमति दे दी।
ईपीएफ की मौजूदा ब्याज दरों को कम करने की आशंका आज मीटिंग से पहले ही जताई जा रही थी. वर्तमान इकॉनमी के हिसाब से इतना ब्याज देना संभव नहीं हो पा रहा था. जिसके बाद यह कयास लगाए जाने लगे थे कि ब्याज दरों में कटौती की जा सकती है. श्रम मंत्रालय का भी यही कहना है कि ब्याद की मौजूदा दर को बरकरार रखना इस मौजूदा कम ब्याज दर वाली व्यवस्था में तर्कसंगत नहीं है.