क्या आप Salary Negotiation में माहिर हैं ? ये Tips आपको Expert बना देंगे

Salary Negotiation एक ऐसा विषय है जिस पर आकर सभी को बड़ी मुश्किल आती है , और सैलरी को नेगोशेट  करते वक़्त बड़े सूझ बूझ से काम लेना होता है , पर अकसर या तो लोग अपनी सही सैलरी तय नहीं कर पाते या फिर वो ज्यादा चक्कर में न पड़ कर फटाफट हाँ या ना जो भी करना हो करके फ्री हो जाते है . पर क्या यह सही है ?

हम  भारतीय सौदेबाजी में बड़े अजीब से स्वाभाव के होते है जब हमे रिक्शा वाले या सब्जी वाले से सौदेबाजी करनी होती तो हम बहुत गंभीर होते है और कई बार छोटी से वजह से चीज नहीं खरीदते। पर जब हमें किसी बड़े विषय (जैसे की सैलरी ) पे सौदेबाजी करनी हो तो हम पिछड़ जाते है। आज के इस प्रतिस्पर्धा और बदलाव भरे युग में हमारी कीमत क्या है , ये एक बड़ा गंभीर सवाल है। हम मे से हर एक का कभी न कभी इस सवाल से सामना हुआ होगा। और आज के बदलते बाजार ( market conditions ) में ये शायद इतना आसान नहीं।

पर ये बड़ा महत्वपूर्ण सवाल बन जाता है जब आप किसी नई नौकरी के लिए आवेदन करते हो या जब सैलरी की बातचीत (negotiation ) का वक्त होता है तो आपसे आपकी एक्सपेक्टेड सैलरी पूछी जाती है। उस वक़्त आप अपनी सैलरी किस आधार पर तय करते है। कई बार ये एक मुश्किल भरा वक़्त होता है जब आपके सामने एक बेहतर जगह पर काम करने का मौका हो और दूसरी तरफ आपकी अनुमानित सैलरी हो। कई बार हम इतनी ज्यादा सैलरी मांग लेते है जिससे वह ऑफर हम गंवा देते है या फिर हम कई बार ऐसी डिमांड कर लेते है जो सामने वाला आसानी से पूरी कर देता है और हमें लगता है हम तो ठगे गए। पर ये दोनों बाते हमारे लिए घातक हो सकती है। आइये जानते है कुछ बाते जो आपको वेतन की सौदेबाजी(Salary Negotiation) में मददगार होंगी।

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बाजार का सर्वेक्षण कीजिये (Do market survey) :

इंटरव्यू की तैयारी में एक बात ये शामिल कीजिये , इंटरव्यू में  जाने से पहले आपको एक मार्किट सर्वे कर लेना चाहिए ,जैसे की आप के जैसी योग्यता वाले प्रार्थी को अन्य कंपनी क्या सैलरी दे रही है। हालाँकि कुछ कम्पनियाँ भर्मित करने वाले पद (designation ) देती है। जिससे आप भ्रमित हो सकते है। सर्वेक्षण का सही तरीका ये है की आप शिक्षा (qualification ) और
अनुभव (Experience ) के आधार पर ये फैसला करे।

इंटरव्यू पर पहले आपको पता होना चाहिए आपको कितने पैसे मांगने चाहिए। ध्यान रहे आप जो वेतन की मांग कर रहे है वो तर्कसंगत हो. ताकि जब आपसे पूछा जाये आप ये सैलरी क्यों चाहते हो ? उस वक़्त आपके पास एक सटीक जवाब हो

सर्वेक्षण करते समय ध्यान रहे दो सभी कंपनिया उसी एरिया में हो जिस एरिया में आप जॉब के लिए इंटरव्यू दे रहे हो।

Salary Negotiation के वक़्त सिर्फ पैसे के पीछे मत दौड़िये (don\’t rush after cash):

सैलरी पैकेज तय करते वक़्त हमारी सबसे पहली नजर ज्यादा से ज्यादा कैश पर रहती है। हम सभी चाहते है की हमे अपनी श्रेणी में सबसे बेहतर सैलरी मिले।पर सिर्फ कैश मिलने वाले पैसे ही काफी नहीं। पैसे के साथ साथ कंपनी के बारे में ज्यादा ज्यादा से ज्यादा पता कीजिये की वो एक बेहतर कार्य स्थल है या नहीं , आपकी सीखने की सम्भावनाये कितनी है।

कुछ कम्पनियाँ कैश को बढ़ा कर आपके भविष्य को असुरक्षित करती है ( जैसे वो बेसिक को काम कर देते है  जिससे आपका कैश तो बढ़ जाता है पर EPF Share  कम हो जाता है आपके वार्षिक लाभो पे भी प्रभाव पड़ता है।) अगर आपके पैकेज में वेरिएबल (variable ) पार्ट है तो उसे अच्छे से समझे की ये किस आधार पर दिया जाता है ,और पिछले वर्षो के आंकड़े देखे। कुछ कम्पनियाँ सुविधाओ का हवाला देकर पैसे कम कर देती है। आपको उन सुविधाओ को भी अच्छे से समझना चाहिए। तो ध्यान रहे आप सभी तथ्यों को अच्छे से परखे।

 

Salary negotiation के वक़्त आप किन किन चीज़ों पर ध्यान देते है ?

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नियोक्ता को पहले ऑफर करने दे (let the employer offer first) : 

जब आपसे इंटरव्यू के दौरान पूछा जाये की आप क्या सैलरी पसंद करते है तो आपको सीधे अपनी डिमांड नहीं बतानी चाहिए , बल्कि एक साधा हुआ जवाब दे सकते है , जैसे आज के मार्किट ट्रेंड के हिसाब से और एक अंदाजन रकम बता दे , पर अपना सबसे ज्यादा ध्यान इस बात पर रखे की आप खुद को बेहतर आवेदक (candidate ) साबित करे।

और नियोक्ता (employer ) को पहले ऑफर करने दे जिससे हो सकता हो आपको आपकी उम्मीद से बेहतर मिल जाये। और अगर ऐसा नहीं होता तो आप अपनी स्किल (skill ), अचीवमेंट(achievement ) और मार्किट सर्वे के आधार पर सौदेबाजी कर सकते है।

सौदेबाजी से घबराये नहीं (Don\’t scare while negotiation) :

जब कंपनी आपको ऑफर करती है। हो सकता है वो आपकी उम्मीद से कम हो पर यहाँ पर एक बात आपकी तरफ भी जाती है की कंपनी ने आपको पसंद किया है। और अगर आपको इससे अधिक पैसे के उम्मीद थी तो घबराये नहीं और इस विषय पर बात करे और अपनी स्पष्ट राय नियोक्ता ( employer ) के सामने रखे। नुकसान का सौदा स्वीकार न करे , बल्कि पूरी तैयारी के साथ उन्हें तथ्यों के आधार पर यह बताये आप इसे ज्यादा सैलरी पाने के हक़दार है। और कोई भी समझदार नियोक्ता (employer ) थोड़े पैसे के लिए एक अच्छे कर्मचारी को खोना नहीं चाहेगा।

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