आजकल कंपनी और कर्मचारी के बीच जॉब बांड या एम्प्लॉयमेंट बांड का चलन बहुत ज्यादा बढ़ने लगा है। इसके पीछे कई अलग अलग तरह के कारण है। जिसमे सबसे बड़ा कारण है कंपनी अपने एम्लोई को लम्बे समय तक अपने साथ रोकना चाहती है तो हाई अट्रिशन रेट को रोकने के लिए कंपनी अक्सर नए एम्प्लोई को एक बांड के साथ बांध देती है। इस बांड का मतलब होता है की अगर कोई एम्प्लॉई तय समय से पहले जॉब छोड़ता है तो उसे एक फिक्स एमाउंट अपने एम्लॉयर को देना पड़ता है। हालाँकि दुनियां के बहुत सारे देशो में इसे अवैध माना जाता है। हमारे देश में भी इसे वैध नहीं माना जाता। एक एम्प्लायर ट्रेनिंग की कॉस्ट को रिकवर करने के लिए अपने कर्मचारी के साथ सर्विस बॉन्ड कर सकते है। पर ऑन जॉब ट्रेनिंग के दौरान , वह कर्मचारी किसी अधिकारी के सुपरविजन में काम करना चाहिए। अगर वह इंडिपेंडेंट काम कर करता है तो इसे ट्रेनिंग नही माना जा सकता। उस ट्रेनिंग का उद्देश्य एम्प्लोई की पर्सनल ग्रूमिंग होना चाहिए, न कि उत्पादन बढ़ाने के लिए दी गयी ट्रेनिंग।
भारत के कानून के अनुसार एम्प्लॉयमेंट बॉन्ड को वैध नहीं माना जाता , कोई भी एम्लॉयर अपने कर्मचारी से उसकी इच्छा के विरुद्ध काम नहीं करवा सकता। आजकल बहुत सी कंपनी अपने कर्मचारियों से बांड करवाते समय उनके शिक्षा के documents (Certificates ) अपने पास सिक्योरिटी के रूप में रख लेते है। जिससे कर्मचारी खुद को फंसा हुआ महसूस करता है। हालाँकि ऐसा करना गैर क़ानूनी है , कई बार कंपनी आपकी वेरिफिकेशन के लिए आपसे आपके डॉक्यूमेंट मांग सकती है। तो उसके लिए आपको अपने original document देने की जरुरत नहीं होती। आप फोटो कॉपी दे सकते है
भारत में इस प्रकार बांड वैध नहीं है ये आप निचे दी गयी इमेज में देख सकते है
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