टारगेट बेस्ड जॉब (target base job) क्या होती है ? क्या है इसके फायदे और नुक्सान

हम अक्सर लोगो से टारगेट बेस्ड जॉब (target base job) के बारे में सुनते है कि वो  टारगेट वाली जॉब में काम नहीं करना चाहते , ऐसे वो लोग या तो अपने पुराने अनुभवों की वजह या लोगो के टारगेट जॉब्स के बारे में बुरे अनुभवों को जानकर करते है। और टारगेट के डर की वजह से लोग कम सैलरी वाली जॉब  भी स्वीकार कर लेतें है।  टारगेट जॉब के जहाँ कई नुक्सान है वहीँ इसके कई फायदे भी है

क्या होती है टारगेट बेस्ड जॉब (target base job) :-

जैसा की नाम से ही स्पष्ट है टारगेट यानि लक्ष्य \”लक्ष्य आधारित जॉब \”  वैसे तो हर एक जॉब का एक टारगेट होता है , यानि कोई भी जॉब टारगेट के बिना नहीं होती , क्योंकि हर जॉब में नियोक्ता (Employer ) की अपने कर्मचारियों से कुछ न कुछ अपेक्षाएं (Expectations ) होती है , और ये अपेक्षाएं ही उस जॉब का टारगेट होती है।  पर टारगेट बेस्ड जॉब (target base job) में , कर्मचारी (Employee ) की सैलरी (Salary) उसको दिए गए टारगेट पर निर्भर होती है।  जिसमे

कर्मचारी को हर हाल में अपना टारगेट पूरा करना होता है नहीं तो उसे सैलरी में कटौती (Deduction ) का सामना करना पड़ता है , या कई बार जॉब भी गवानी पड़ती है।

पर इन सब कमियों के बावजूद टारगेट जॉब (target base job) के फायदे भी है

क्या हैं टारगेट बेस्ड जॉब के फायदे ( benefits of target base job) : –

मोटिवेशन (Motivation ) :  अच्छा वेतन हमेशा एक बड़े मोटिवेटर के रूप में काम करता है।ज्यादा पैसे कमाने की चाहत हमेशा व्यक्ति को मोटिवटेड (Motivated ) रखती है।

अच्छा वेतन (Good Salary )  :  ये भी इस जॉब का एक उजला पहलु है कंपनियां इस तरह की जॉब्स में सामान्य से अधिक वेतन देती है , तो स्टार्ट अप में ही व्यक्ति को एक अच्छी सैलरी मिलनी शुरू हो जाती है।

स्किल डेवलपमेंट (Skill development) :  इन जॉब्स में व्यक्ति को एक निश्चित टारगेट को प्राप्त करना होता है।  तो उन टारगेट्स को प्राप्त करने के लिए कंपनिया अपने कर्मचारियों की विशेष प्रकार की ट्रैनिंग्स करवाती रहती है।  जिससे उनकी स्किल में निखार आता रहता है।

तेजी से करियर में बढ़ोतरी ( Fast career growth) :  अच्छी सैलरी , स्पेशल ट्रेनिंग और टारगेट अचीवमेंट  व्यक्ति को आम से खास बना देती है।  और स्पेशल स्किल वाले लोगो की हर क्षेत्र (Field ) में मांग (Demand ) है।  जिससे करियर तेजी से आगे बढ़ता जाता है।

ऊँचा मनोबल  या सकारात्मक नजरिया (High morale or  positive attitude ) :  जो लोग अपना काम समय पर या उससे पहले पूरा करते है। और उनका मनोबल भी हमेशा ऊँचा बना रहता है।  वो जिंदगी में टार्गेट्स को कैसे पाना है सीख चुके होते है।  इसलिए उनमे एक विशेष गुण पैदा होता है जिसे हम सकारात्मक रवैया(Positive attitude) कहते है।

अब टारगेट बेस्ड जॉब से होने वाले नुक्सान जानते है

क्या हैं टारगेट बेस्ड जॉब के नुक्सान (Losses of target based jobs ) :-

असुरक्षा की भावना  ( Feel of  insecurity ) :  इन जॉब्स में हमेशा कर्मचारी पर टारगेट को लेकर दबाव बना रहता है , जिससे उसकी जॉब हमेशा खतरे में पड़ी रहती है।इस वजह से उसकी उत्पादकता भी घट सकती है। और वो काम की बजाय अपनी जॉब बचाने पर ज्यादा ध्यान रखता है।

सैलरी में कटौती का डर ( Threat of salary deduction ) :  ज्यादा सैलरी पैकेज के चक्कर में लोग अक्सर इस तरह की जॉब करना स्वीकार कर लेते है। पर टारगेट पूरा न होने पर अक्सर सैलरी काट ली जाती है।  जिससे उन्हें कम वेतन मिलता है।

रिश्तों में दरार ( Differences in relations):  टारगेट के भारी दबाव के कारण लोग अक्सर अपना टारगेट पूरा करने के लिए अपने साथियों के हिस्से के काम को भी अपने हक़ में करने से नहीं हिचकते। और जब ये राज खुल जाता है तो उनके रिश्ते भी ख़राब हो जाते है। जो की टीम भावना (Team Spirit ) के लिए बहुत बड़ा खतरा होता है।

मनोबल का टूटना ( Demoralised ) : इस तरह की जॉब्स में टारगेट पूरा करने के लिए लोग सभी जुगाड़ लगाते है पुराने और चालक लोग अक्सर नए लोगो पर बहुत ज्यादा दबाव बनाते है।  टारगेट पूरा न होने पर तरह-तरह की बातें भी सुनाने से गुरेज नहीं करते।  जिससे व्यक्ति के आत्मसम्मान को ठेस पहुँचती है। और उसका मनोबल भी टूट जाता है

ख़राब जीवन शैली  ( Poor Lifestyle ) :  लोग अपना टारगेट पूरा करने के लिए ज्यादा से ज्यादा देर तक काम करते है , उनके आने जाने और खाने का कोई समय नहीं रहता।  जिससे उसकी जीवन शैली बुरी तरह प्रभावित होती है

निष्कर्ष  ( Conclusion ) : 

टारगेट बेस्ड जॉब्स को जिंदगी में चुनौती (Challenge ) की तरह स्वीकार करना चाहिए।  सिर्फ ज्यादा सैलरी पाने के लिए टारगेट बेस्ड जॉब करना आपके लिए घातक भी सिद्ध सकता है।

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