हम सब हमेशा से सुनते आये है कि “असंभव कुछ भी नहीं” पर बहुत कम लोग ही इस कहावत को अपने जीवन में उतार पाए है | इन्ही कुछ लोगों में से एक नाम है Brooklyn bridge के निर्माणकर्ता जॉन रोब्लिंग (John Roebling). Brooklyn bridge एक ऐसा ब्रिज है जो Long island व New York को आपस में जोड़ता है | इस ब्रिज के निर्माण के पीछे एक रोमांचकारी कहानी है , यह उन लोगों को जरूर प्रभावित करेगी जो चुनोतियों से घबरातें है |
सन 1870 अमेरिकी इंजीनियर जॉन रोब्लिंग के जीवन का महत्वपूर्ण वर्ष था , इसी वर्ष इस इंजीनियर के दिमाग में एक ब्रिज बनाने का विचार आया | उस समय की तकनीक के हिसाब से यह एक क्रांतिकारी विचार था | जैसा की हमेशा से होता आया है इस नए विचार को जॉन रोब्लिंग का पागलपन समझा गया और किसी भी अन्य इंजीनियर ने उनका इस प्रयोजना में साथ नहीं दिया | इसका एक कारण यह भी था कि उस समय ऐसा कोई ब्रिज नहीं था |
कितनी मुश्किल situation होंगी वह जब कोई भी आपके विचारों का समर्थन ना करें, परन्तु जॉन रोब्लिंग को स्वमं पर और अपने इस विचार पर विश्वास था | ऐसे मुश्किल समय में उनका साथ उनके पुत्र Washington (वाशिंगटन) ने दिया, जो स्वमं एक इंजीनियर था| दोनों पिता व पुत्र ने साथ में मिलकर अपने मह्ताव्कंशी सपने को पूर्ण करने के लिए कुछ इंजीनियर बुलाये व अन्य लोगों की भर्ती की गयी| सभी लोग केवल इसी बात पर काम करने को राजी हुए कि किसी भी नुक्सान की भरपाई पिता व पुत्र करेंगे |
ब्रिज का काम शुरू हुए अभी कुछ ही दिन हुए थे कि जॉन रोब्लिंग का एक दुर्घटना में देहान्त हो गया | इस घटना ने सभी कर्मचारियों के मनोबल को तोड़ कर रख दिया, पर वाशिंगटन को अपने पिता के सपने को पूर्ण करना था इसलिए काम पूर्ववत चलता रहा | किसी भी महान कार्य की सफलता से पहले आने वाली कठिनाईयां ही उसे महान व प्रेरणाप्रद बनाती हैं | वाशिंगटन के लिए सफलता के मार्ग की मुश्किलें तब और अधिक हो गयी जब जॉन रोब्लिंग की म्रत्यु के दो वर्ष बाद वाशिंगटन एक बीमारी के कारण चलने फिरने व बोलने में भी असमर्थ हो गए | वह अपनी बात केवल एक उंगली का द्वारा किये गए इशारों से अपनी पत्नी को समझा पाते | अगले 11 सालों तक उनकी पत्नी एमिली उनके और अन्य इंजीनियरो के मध्य बातचीत का माध्यम बनी रही |
इतने संघर्ष के बाद अंत में 24 मई 1883 को दुनिया को असंभव लगने वाला यह ब्रिज तैयार हो गया और आज भी अपनी निर्माण गाथा से लोगों को प्रभावित कर रहा है | यह कहानी इस बात को प्रमाणित करती है कि अपने लक्ष्य के प्रति समर्पण, स्वयं पर विश्वास व कभी हार न मानने की भावना असंभव को संभव कर सकती है |