क्यों और कैसे मनायी जाती है धनतेरस (Dhanters)

धनतेरस (Dhanters) से दिवाली की शुरुआत मानी जाती है | कार्तिक माह की त्रयोदशी के दिन ये त्यौहार मनाया जाता है | ऐसा मन जाता है कि धनतेरस के दिन ही समुद्र मंथन से भगवान् धन्वन्तरी की उत्पत्ति हुई थी | क्यूंकि भगवान् धन्वन्तरी अपने हाथों में कलश लेकर समुद्र से उत्पन्न हुए थे इसीलिये इस दिन बर्तन खरीदना अच्छा मन जाता है |

धनतेरस (Dhanters)  के दिन बहुमूल्य चीजों की खरीदारी करना इसलिए भी शुभ मन जाता है क्यूंकि ऐसे मान्यता है कि इस दिन जो कुछ भी खरीदा जाता है वो 13 गुना हो जाता है | भगवान धन्वन्तरी को चिकित्सा का भगवान् भी मन जाता है | इसलिए इस दिन अपने व अपने प्रिय जनों के अच्छे स्वास्थ्य की कामना फलीभूत होती है |

धनतेरस की कथा : धनतेरस (Dhanters)  की पूजा करने के पीछे एक कहानी भी है | ऐसी मान्यता है कि इसी दिन यमराज से राजा हिम के पुत्र की रक्षा उसकी पत्नी ने की थी, जिस कारण दीपावली से दो दिन पहले मनाए जाने वाले इस ऐश्वर्य व स्वास्थ्य के त्यौहार धनतेरस पर सायंकाल को यम देव के निमित्त दीपदान किया जाता है। इस दिन को यमदीप दान भी कहा जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से यमराज के कोप से सुरक्षा मिलती है और पूरा परिवार स्वस्थ रहता है |

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ऐसे करें पूजा :   धनतेरस (Dhanters) पर चाँदी या बर्तन लेना अत्यंत शुभ माना जाता है | धनतेरस के दिन शाम के समय लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है | कुछ लोग इस दिन भी द्वार पर रंगोली बनाते है | उत्तर भारत के अधिकांश स्थानों पर धनतेरस के दिन आटे का दीपक जला कर दक्षिण दिशा की और रखा जाता है । इस दिन घरों को साफ-सफाई, लीप-पोत कर स्वच्छ और पवित्र बनाया जाता है और फिर शाम के समय रंगोली बना दीपक जलाकर धन और वैभव की देवी मां लक्ष्मी का आवाहन किया जाता है।

इसी दिन भगवान् कुबेर की भी पूजा करने का भी बहुत  महत्व है | कुबेर को धन का देवता माना जाता है | कुबेर की पोजा करने के लिए साफ़ जगह पर लाल रंग के कपडे पर कुबेर का चित्र लगा कर लाल रंग के फूल अर्पित करके पूजा करनी चाहिए |

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