दीपावली (Diwali ) पर लक्ष्मी व गणेश जी की पूजा का विशेष महत्व है | ऐसी मान्यता है कि. मां लक्ष्मी के पूजन से घर में धन-धान्य बना रहता है | और भगवान गणेश की पूजा करने से विद्या-बुद्धि के साथ ही शक्ति भी बढ़ती है | इसलिए लक्ष्मी जी व गणेश जी की पूजा एक साथ की जाती है |
यदि दीपावली (Diwali) पर की जाने वाली पूजा पुरे विधि विधान से की जाएँ तो आपके ऊपर लक्ष्मी जी की कृपा पूरे वर्ष बनी रहेगी | इसीलिये ये अच्छा रहेगा कि आप अपने पूजन की तैयारी पहले ही कर लें जिससे लास्ट मोमेंट में कोई गलती होंने की कोई संभावना न रहे |
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इस वर्ष वैसी भी दीपावली (Diwali) की पूजा का दुर्लभ योग बन रहा है | इस बार दीपावली में दुरुधरा योग बन रहा है। इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से कई गुना लाभ होगा। कहा जाता है कि इस दिन मां लक्ष्मी का पूजन स्थिर लग्न में करना चाहिए। स्थिर लग्न में पूजन करने से मां लक्ष्मी का आपके घर में वास होता है। अमावस्या तिथि जिसमे कि दीपावली का पूजन होता है, 29 अक्टूबर दिन शनिवार को ही रात में 07 बजकर 52 मिनट से लग रही है जो 30 अक्टूबर 2016 दिन रविवार को रात में 09 बजकर 44 मिनट तक रहेगी। दिवाली (Diwali) के दिन उद्योग-धंधों के साथ-साथ नवीन कार्य करने एवं पुराने व्यापार में खाता पूजन का विशेष विधान है।
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अपनी पूजा विधि विधान से करने के लिए इन बातों का ध्यान रखें |
- जिस स्थान पर आपको पूजा करनी है उसे अच्छे से साफ़ कर लें और वहाँ स्वस्तिक का चिन्ह बनाये | फिर एक बड़ी और साफ चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछा कर उसके ऊपर लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां स्थापित रख दें | लक्ष्मीजी को गणेशजी के दाहिनी ओर विराजमान करें |
- लक्ष्मी व गणेश जी की मूर्ति इस प्रकार रखें कि उनका मुख पूर्व या पश्चिम में रहे |
- अब एक जल से भरे कलश को लक्ष्मीजी के पास चावलों के ढेर पर रखें | इस कलश के ऊपर लाल कपडे में लिपटा हुआ नारियल रखें | अब मूर्तियों के सामने बैठकर हाथ में जल लेकर शुद्धि मंत्र का उच्चारण करते हुए उसे मूर्ति पर, परिवार के सदस्यों पर और घर में छिड़के |
- कलश के पास दो बड़े दीपक रखें जिसमें एक घी का और दूसरा तेल का दीपक हो. एक दीपक चौकी के दाईं ओर रखें और दूसरा मूर्तियों के चरणों में |
- मूर्तियों के सामने लाल वस्त्र पर चावलों से नवग्रह के प्रतीक बनाएं | और गणेशजी की ओर चावल की सोलह प्रतीक बनाएं जिन्हें मातृका का प्रतीक माना जाता हैं. नवग्रह और षोडश मातृका के बीच स्वस्तिक का चिह्न बनाएं |
- एक थाली में ग्यारह दीपक रखें व दुसरी थाली में फूल, दुर्वा, चावल, लौंग, इलायची, केसर-कपूर, हल्दी-चूने का लेप, सुगंधित पदार्थ, धूप, अगरबत्ती, एक दीपक रखें |
- एक थाली और लें जिसमे कि खील, बताशे, मिठाई, वस्त्र, आभूषण, चन्दन का लेप, सिन्दूर, कुंकुम, सुपारी, पान रखें |
- अब पूरे मन से लक्ष्मी जी का ध्यान करें व लक्ष्मी जी व गणेश जी की पूजा करें |
- पूजा के बाद भगवान का आशीर्वाद लेने के बाद अपने घर के बड़ों के पैर छूना न भूलें |