ऐसे जुटाएं अच्छे कामों के लिए Donation

किसी जरूरतमंद की मदद करने अच्छा सुख कुछ नहीं होता | कभी सड़क पर ठण्ड में ठिठुरते लोगों को देखकर या किसी बूढ़े व्यक्ति को मेहनत का काम करते देखकर मन में एक अजीब सी टीस उठती है | हम ऐसे लाखों जरूरतमंद लोगो की मदद नहीं कर सकते इसका दुःख भी होता है | लेकिन ऐसे बहुत से लोग है जिन्होंने परसेवा को अपना धर्म बनाया हुआ है | ऐसे लोग NGO के जरिये चंदा एकत्रित करते है और ऐसे लोगो के कल्याण में इस पैसे को लगाते जिन्हें पैसो या खाने व रहने की जगह की बहुत जरूरत होती है |

चंदा या Donation एकत्रित करना बहुत आसान काम नहीं है | लेकिन अगर आप भी किसी के लिए धन एकत्रित करना चाहते है तो ये कुछ टिप्स आपकी मदद कर सकते है |

  • ज़्यादा पैसे वालों से आप सीधे मदद की गुहार लगाएं। इसमें आपको ज़्यादा कामयाबी मिलने की उम्मीद है।जैसे ही आप उसको इस दान के  फ़ायदे नुक़सान की बातें गिनाने लगेंगे, वो अपना नफ़ा-नुक़सान तौलने लगेगा। वो मदद की रक़म को इन्वेस्टमेंट के तौर पर देखेगा। फिर उस पर रिटर्न की उम्मीद भी लगा बैठेगा।
  • युद्ध से हुई बर्बादी की तस्वीरें देखकर कम ही लोग मदद करते हैं।इनके मुकाबले क़ुदरत के कहर की तस्वीरें, लोगों को मदद के लिए ज्यादा आगे आने की प्रेरणा देती हैं। अक्सर लोग मदद जुटाने के लिए मजलूम बच्चों की, तबाही के मंजर के सामने लाचार खड़े लोगों की तस्वीरों का इस्तेमाल करते हैं। अल्बर्टा यूनिवर्सिटी के कराए इस रिसर्च से पता चला कि तबाही की तस्वीरों के बीच प्यारे बच्चे दिखते हैं तो लोगों को लगता है कि ये बच्चे स्मार्ट हैं। अपनी मदद ख़ुद कर लेंगे। इन्हें मदद की कम जरूरत है।   लोग ऐसे लोगों की मदद करना चाहते हैं जो किसी आफत के बाद खुद भी अपनी जिंदगी को पटरी पर लाने में जुटे हों  यदि आप परोपकार के लिए पैसे जुटा रहे हों, तो ऐसी तस्वीरें संभावित मददगारों को दिखाएं जिनमें तबाही के शिकार लोग अपना घर फिर से बनाने की कोशिश कर रहे हों। आपको ज्यादा रकम मिलेगी।

\"\"

Image Source

  • इसराइल में हुई एक रिसर्च में देखा गया कि कुछ महिलाओं को जब एक ख़ास महिला की मदद को कहा गया तो उन्होंने दिल खोलकर मदद की।लेकिन जब उनसे कई आदमियों के लिए मदद मांगी गई तो उन्होंने और भी ज़्यादा दान किया। इसका मतलब है कि जैसा कि अमूमन होता है कि किसी आपदा के बाद लोग, कुछ नाम लेकर, कुछ लोगों की कहानियां सुनाकर मदद जुटाने की कोशिश करते हैं। उन्हें लगता है कि लोगों के नाम सुनकर, मदद करने वाले उस इंसान से जुड़ाव महसूस करेंगे और ज़्यादा दान करेंगे. पर होता इसके उलट है।

\"\"

Image Source

  • ब्रिटिश मनोवैज्ञानिक निकोलस गुगेन ने इस एक बहुत ही दिलचस्प एक्सपेरिमेंट किया।उन्होंने 14 दुकानों में दान पात्र रखे। किसी में लिखा दान करें। किसी में लिखा दान करें क्योंकि ये प्यार करने जैसा है। किसी में लिखा कि दान करें क्योंकि इससे किसी की मदद होती है। जब बाद में सभी डिब्बों के पैसे गिने गए तो पता चला कि जिस डिब्बे में दान का मतलब प्यार करना बताया गया था उसमें सबसे ज़्यादा पैसे थे। साफ़ है कि मदद करने से ज़्यादा लोगों को प्यार करने की भावना अच्छी लगी क्योंकि इससे इंसान से जुड़ाव और मदद का भाव ज़्यादा ज़ाहिर हुआ तो एनजीओ चलाने वाले इस बात का ख़ास ख़्याल रखें कि वो किन शब्दों का ज़िक्र करके मदद जुटाना चाहेंगे।
  • अगर किसी को पता है कि दान करने पर या किसी की मदद करने पर उसके नाम की चर्चा होगी, तो वो ज़्यादा उत्साहित होकर मदद के लिए आगे आता है दान करने वाले चाहते हैं कि उनकी कोशिश को दुनिया जाने।जब भी लोगों को लगता है कि उनके परोपकार के काम को कोई देख रहा है, तो वो मदद करने के लिए ज़्यादा उत्साहित होते हैं।  इसलिए इस बात पर ज़ोर दें कि दान देने वाले को आप भरोसा दिला सकें कि उसका नाम दुनिया को पता चलेगा। उसकी मदद की लोग तारीफ़ करेंगे।

\"\"

Image Source

 

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *