आखिर क्या कारण है Pharma इंडस्ट्री में High Attrition Rate का

फर्मास्यूटिकल सेक्टर ने पिछले कुछ वर्षो के दौरान भारत  में काफी ग्रोथ किया है | भारतीय फार्मा कम्पनीज जैसे Cipla , sun फार्मा आदि ने इंटरनेशनल लेवल पर बहुत नाम कमाया है | लेकिन एक प्रॉब्लम है जो फार्मा सेक्टर के HR Department को बहुत परेशान कर रही है और वो है फार्मा कम्पनीज का बढ़ता हुआ attrition rate.  

 किसी भी सेक्टर में अच्छी ग्रोथ का मतलब है कि उस सेक्टर में नौकरियों की भरमार है, लेकिन अगर हम भारतीय फार्मा उधोग की बात करें तो पायेंगे कि इस क्षेत्र में नौकरियां तो बहुत है लेकिन स्किल्ड लोगों की कमी है| इतना ही नहीं फार्मा सेक्टर में attrition rate  भी दुसरे सेक्टर्स के मुकाबले ज्यादा है | भारत में IT सेक्टर के बाद सबसे अधिक attrition फर्मास्यूटिकल सेक्टर में हो रहा है | फर्मास्यूटिकल सेक्टर की ग्रोथ भारत में काफी तेजी से हुई है और आने वाले समय में इसका भविष्य भी बहुत अच्छा है | ऐसे में अधिक attrition rate  इन फर्मास्यूटिकल कम्पनीज के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है | जानते है कि आखिर क्या कारण है कि फर्मास्यूटिकल फर्म्स को high attrition rate  का सामना करना पड़ रहा है |

इस high attrition rate  के कारण जानने से पहले जानते है कि क्या होता है ये attrition rate  ?

Attrition rate  से आशय है किसी कंपनी को छोडकर जाने वाले लोगो से | अब ये लोग या तो कंपनी से रिजाइन देकर जाएँ या रिटायर होकर ये सभी attrition  के अन्दर कैलकुलेट होता है |

एक सर्वे के अनुसार फर्मास्यूटिकल सेक्टर में attrition rate 30% से 40% तक है जो बाकी इंडस्ट्रीज के मुकाबले काफी ज्यादा है | भारत की राष्ट्रीय व् अंतर्राष्ट्रीय फर्मास्यूटिकल कम्पनीज में लगभग 500,000 लोग काम करते है | अब आप खुद ही सोच सकते है की इतना बड़ा और ग्रोइंग सेक्टर प्रति वर्ष अपनी लगभग 30% manpower loose केर देता है | ये आंकड़े अधिक चिंतिंत करने वाले इसलिए भी है क्यूंकि IBS की रिपोर्ट्स के अनुसार अंतर्राष्ट्रीय लेवल पर फर्मास्यूटिकल इंडस्ट्री में attrition rate  सिर्फ 10 से 12% ही है |

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अधिकतर नाख़ुश एम्प्लाइज के job छोड़ने के कारणों में काफी समानता है | अधिकतर एम्प्लाइज इसलिए job छोड़कर गये है क्यूंकि उन्हें अपने काम के लिए न तो प्रंशसा  मिल रही थी और न ही सपोर्ट | Interlink के एसोसिएट कंसलटेंट K Vani Shetty के अनुसार , फर्मास्यूटिकल इंडस्ट्री के लिए अभी ये सीखना बाकी है कि “अपने एम्प्लाइज को खुश रखने की अहमियत क्या होती है |”

जो लोग जो फर्मास्यूटिकल सेक्टर को ही छोड़कर किसी दुसरे सेक्टर में job तलाश करते है उनमें से अधिकतर फार्मा के मार्केटिंग डिपार्टमेंट के एम्प्लाइज होते है और ऐसा होने का सबसे मुख्य कारण है employee मैनेजमेंट की कमी, हालाकिं अपेक्षा से कम salary भी एम्प्लाइज को job छोड़ने के लिए मजबूर कर रही है | भारत में लगभग 10,000 लाइसेंस फर्मास्यूटिकल फर्म्स है जिनमे केवल 300 कम्पनीज ही organised सेक्टर में है |

अगर हम संक्षेप में कहें तो भारत में फर्मास्यूटिकल सेक्टर में जॉब्स तो बहुत है लेकिन अभी इन फर्मास्यूटिकल कम्पनीज को अपने एम्प्लाइज को संतुष्ट रखना सीखना होगा | अधिकतर बड़ी कम्पनीज जैसे Sun Pharma ने अपने attrition rate  को हाल के कुछ सालों में कम किया है | आशा है दुसरी कम्पनीज भी sun Pharma की तरह अपने एम्प्लाइज को retain करने में सफल होंगी |   

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