नयी नौकरी पर कैसे करे खुद को स्थापित : नयी नौकरी की चुनोतियो से निपटने के तरीके

जब हमे नई नौकरी मिलती है तो एक नया उत्साह रहता है। पर आपकी असली परीक्षा उस वक़्त शुरू होती है जब आप उस नौकरी को ज्वाइन करते है। क्योकि उस वक़्त आपको अपने जॉब प्रोफाइल को नयी कंपनी के अनुसार ढालना होता है। इसलिए शुरू के 30 दिन बड़े महत्व पूर्ण होते है। क्योकि आपको न सिर्फ नयी कंपनी की काम की जरुरतो को समझना होता है , बल्कि अपने नए सहयोगियों से भी सामंजस्य बिठाना होता है।

नयी जगह का माहोल भी समझना होता है। बहुत बार लोग इन चीज़ो से सामंजस्य नहीं बिठा पाते और नयी नौकरी उनके लिए आफत बन जाती है। हम कुछ ऐसे टिप्स आपको दे रहे है जिनसे आपको नए माहोल लिए खुद को तैयार करने में मदद मिलेगी , और आप ऑफिस पॉलिटिक्स का शिकार नहीं बनेंगे , क्योकिं आप ऑफिस में काम करने जाते हो ऑफिस ऑफिस खेलने नहीं

क्या करे :

अपनी स्वयं की एक योजना बनाये

खुद के लिए प्राप्त कर सकने वाले लक्ष्य निर्धारित करें

सीखने के विकल्प खुले रखें

अपने पुराने और नए दोस्तों से सहयोग ले और धन्यवाद करने की आदत डाले

अपने मैनेजर से निरंतर वार्तालाप करते रहे

क्या न करें :

सब कुछ एक ही दिन में जानने की कोशिस

अपने ध्यान को न बंटाए

नकारात्मक रवैया

अपने कार्य का मूल्यांकन न करना

गलतियों से सीखे हताश न होए  

क्या करे :

अपनी स्वयं की एक योजना बनाये :

जब आप नयी जगह जाते हो तो आपको वहां का काम का तरीका और आपसे वो क्या उम्मीद रखते है ये बताया जाता है ,पर आप केवल उन्ही लोगो पर निर्भर न रहिये और खुद की एक योजना बनाये जिससे आप दिए गए काम और माहोल को जल्दी समझ सके। हर वक़्त सीखने को लालायित रहे। अपने सवालो को लेकर ज्यादा से ज्यादा बात करे। कंपनी के स्टार परफॉर्मर्स से सीखने की कोशिश करे की उन्होंने खुद को कैसे कामयाब किया। क्योकि आपकी ये पहली योजना आपको नए स्थान पर स्थापित होने में सहायक सिद्ध होगी।

खुद के लिए प्राप्त कर सकने वाले लक्ष्य निर्धारित करें :

नए व्यक्ति को संस्था में छोटे लक्ष्य दिए जाते है पर आप खुद को उन लक्ष्यों तक सिमित मत कीजिये , खुद की योजना और खुद के लक्ष्य भी बनाये और खुद की योजना बनाते इस बात का ध्यान अवश्य रखे की आप जो लक्ष्य निर्धारित कर रहे हो वो प्राप्त किया जा सकने वाला हो , लक्ष्य न तो बहुत छोटा हो जो आसानी से प्राप्त हो जाये और न ही इतना बड़ा हो आप उसे प्राप्त कर सको। लक्ष्य न प्राप्त कर सकने से आपको हताशा हो सकती है जिसके नकारात्मक प्रभाव भी हो सकते है। ध्यान रहे आपकी योजना व् लक्ष्य किसी भी तरह से नए संस्थान के अनुरूप ही होने चाहिए।

सीखने के विकल्प खुले रखें :

जीवन निरंतर सीखने की कला है। हम हमारे आसपास के माहोल से कुछ न कुछ सीखते है , पर अक्सर हम एक अवधारणा बना लेते है की ये काम एक ही तरीके से होगा ,मतलब हम अपनी एक विशेष राय बना लेते है। दुनिया संभावनाओ से भरी हुई है अतः हमें जब हम नए माहोल में जाये तो पुराने अनुभव के साथ ये बात हमेशा ध्यान रखनी चाहिए की कोई भी काम किसी और ढंग से भी हो सकता है। तो हमें हर नए परिवर्तन का स्वागत करना चाहिए। जिससे आप में और नए माहोल में टकराव नहीं बनेगा। इसका ये मतलब नहीं की आप चुप चाप किसी गलत बात को स्वीकार कर ले , आप अपनी बात रखिये और पूरी तरह संतुष्ट होकर नए तरीके को अपनाये।

अपने पुराने और नए दोस्तों से सहयोग ले और धन्यवाद करने की आदत डाले :

जब आप नए माहोल में जाते है तो आपको कुछ ऐसी समस्याएं आ जाती है जो अपने नहीं सोची होती , तो उस वक़्त पर आपके पुराने दोस्त और नयी जगह पर बने नए दोस्त काम आते है। उनसे अपनी समस्याए शेयर कीजिये और उनके सुझाव लीजिये पर उन पर अमल अच्छी तरह गौर करने के बाद ही कीजिये।
पर ध्यान रहे नयी दोस्ती में आपको संस्थान की राजनीती से बचना चाहिए। और अपने लिए प्राप्त की गयी सहायता के लिए धन्यवाद करना न भूले। धन्यवाद करना एक बहुत अच्छी आदत है

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अपने मैनेजर से निरंतर वार्तालाप करते रहे :

सभी मैनेजर की अपने कर्मचारियों से एक ही अपेक्षा होती है वो अपने काम को प्रभावी ढंग से करे और उन्हें बार बार टोकना न पड़े। पर आपके मैनेजर की आपसे क्या अपेक्षाएं है ,समझने के लिए आपको अपने मैनेजर से संवाद होना अति आवश्यक है। संवादहीनता रिश्तो में कड़वाहट और गलत फ़हमियों का कारण बन सकती है।

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  image : jibaoviewer .com

क्या न करें :

सब कुछ एक ही दिन में जानने की कोशिश :

नए माहोल में हम अक्सर डरे हुए होते है , की कही हम से कोई गलती न हो जाये ,और अक्सर हम इसी दर की वजह से ही गलतिया कर बैठते है। और जब हमे नयी जगह के माहोल काम करने के तरीके और लक्ष्यों के बारे में बताया जा रहा होता है तो हम सुनने की बजाय लिखने पर ध्यान रखते है। और चाहते है की हमसे कुछ भी छूट न जाये। लिखने की बजाए सुनने पर जोर दे , सुनने की बजाय समझने पर जोर दे। जरुरी पॉइंट्स की लिखे

अपने ध्यान को न बंटाए :

अपना ध्यान अपने नए काम और काम के माहोल को समझने पर लगाये नाकि आसपास होने वाली नकारात्मक गॉसिप पर। सबको मुस्कान के साथ मिलिए , और फालतू की टिका टिप्पणी से बचना चाहिए।

नकारात्मक रवैया :

हमारी पहचान हमारे व्यवहार से ही बनती है अतः हमें चाहिए। नकारात्मक बातो और संस्था में फैले नकारात्मक लोगो से दुरी बना कर रखे , आपने आप को सकारात्मक रखे और ,काम को करने के लिए तत्पर रहे , कई बार हमें कुछ ऐसा काम दे दिया जाता है जो हमें लगता है हमारे प्रोफाइल के अनुरूप नहीं है , तो सीधा न बोलने की बजाय उसे समझे और करने की कशिश करे , उसे कुछ नया सीखने के मौके के रूप में देखे।

अपने कार्य का मूल्यांकन न करना :

अगर आप अपना काम सही से कर रहे है और आपको सहयगियो से तारीफ भी मिल रही है। पर इस वजह से अपने आप के द्वारा किये गए काम का मूल्यांकन करना न छोड़ दे। अपना मूल्यांकन करना के बहुत अच्छी आदत है , ये हमारी निरंतर तरक्की की सम्भावनाओ को बढ़ाता है। और हर बार कुछ नया और बेहतर करने की प्रेरणा देता है।

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गलतियों से सीखे हताश न होए :

इंसान गलती का पुतला है हम सबने ऐसा सुना होगा। पर एक कहावत है \” गलतियां इस बात का सुबूत है की आप कोशिश कर रहे है \” पर इसका ये अर्थ नहीं की आप गलतियां करते ही जाये। आप गलतियों से सीखे समझे गलतिया क्यों हुई। और उसमे सुधार करे।

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2 thoughts on “नयी नौकरी पर कैसे करे खुद को स्थापित : नयी नौकरी की चुनोतियो से निपटने के तरीके”

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