जिंदगी के सफर में हम सभी जीतना चाहते है , हम में से कोई भी हारना यानि फेल होना नहीं चाहता। हम जब भी कोई काम करते है तो जीत की प्रबल सम्भावना के साथ करते है। पर अक्सर कुछ न कुछ कारण बन जाते है जब हमें हार का सामना करना पड़ता है , और कोई जरुरी भी नहीं की हम हमेशा जीते।
\”जीतना है तो हारना सीखिए \” इस वाक्य से मेरा अभिप्राय यह नहीं की आप हारने के लिए कोशिश करना शुरू कर दो। पर जैसे जीत जिंदगी का हिस्सा है वैसे ही हार भी हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा है। फेलियर (Failure ) हमारी जिंदगी का दुःखद हिस्सा है , जिसे हम बदल नहीं सकते है। और कई बार कहे या अक्सर कहे मैंने देखा है जब फेलियर का सिलसिला शुरू होता है तो लगातार चलता रहता है। और कई बार यह इतना बढ़ जाता है हमारे हौंसले हिम्मत को तोड़ देता है और लोग अपना खुद से विश्वास खो बैठते है। हार या जीत हमारे हाथ में नहीं पर हम अपनी हार को कैसे हैंडल करे यह हमारे हाथ में है।
हम फेलियर को कैसे हैंडल करते है :
हार उतने मायने नहीं रखती जितना यह मायने रखता है की हम इस हार का सामना कैसे करते है ? हार का हमारे मन पर क्या प्रभाव पड़ता है , हार हमारी भावनाओ को कुचल कर हमारे आत्मविश्वास को कमजोर कर देता है , तो इस वजह से यह बहुत जरुरी है की हम अपनी नाकामी को कैसे हैंडल करते है। जैसे जीत हमेशा नहीं रहती वैसे ही हार भी हमेशा नहीं रहने वाली, पर जरुरत है एक ऐसी समझ की जिससे हम उस हार से सबक लेकर जीवन को आगे बढ़ कर स्वीकार करें। हम अक्सर अपनी हार को गले से लगाकर उसका मातम मनाते रहते है या हार के दबाव में जीत के लिए कोशिश करना ही छोड़ देते है। या फिर अति उत्साही होकर अपनी नाकामी को कामयाबी में बदलने के लिए लगातार एक ही काम को बार बार करते है तो उसका परिणाम एक जैसा ही रहता है।
“एक बार एक शराबी सड़क पर गिरे केले के छिलके को देख कर रुक गया
तो एक राहगीर ने उससे पूछा क्या बात हुई भाई रुके क्यों।
तो वह केले के छिलके को देख कर बोला लगता है आज फिर फिसलना पड़ेगा।\”
हम भी अपनी जिंदगी में अक्सर यही रवैया अपनाते है , हम अपना ध्यान उस शराबी की तरह हमेशा समस्याओं पर लगाए रखते है। और बार बार गलतियों को दोहराते है। नाकामी हमारे हाथ में नहीं है। पर नाकामी को कैसे हैंडल करे ये हमारे हाथ है।
अपने पिछले अनुभव पर नजर डालिए की पिछली बार आपके सामने जब ऐसी स्थिति आई थी तो आपने उन हालात का कैसे सामना किया। अक्सर लोग नाकामी के कारणों को नकार कर दुबारा उसी काम में लग जाते है और बिना सोचे समझे फिर से वही गलतियां दोहराते है जिनकी पिछली बार नाकामी का सामना करना पड़ा था। या फिर हम अपनी नामकी का दोष दूसरों पर मढ़ने लगते है। या हताश होकर कोशिश करना छोड़ देते है । कभी कभी लोग इतने हताश
हो जाते है वो डिप्रेशन का शिकार होकर किसी न किसी बीमारी को पकड़ कर बैठ जाते है।
कैसे करें नाकामी का सामना :
असफलता को स्वीकार कीजिये :
कहते है समस्या का समाधान समस्या में ही छुपा होता है , पर अक्सर ऐसा होता है समस्या आने पर हम बोखलाहट में नए नए प्रयोग करने लगते है। और हम नए नए सलाहकार बना लेते है। जैसे एक जुआरी जुए में दांव हार जाने पर दुगुना दांव लगाता है ताकि वो पिछले नुक्सान की भरपाई कर सके वो फिर हार जाने पर और बड़ा दाँव लगाता है और नतीजा वही रहता है। हम हार की हताशा में बहुत जल्दी जीतना चाहते है , बिना यह समझे की हार हमारी ही किसी भूल का परिणाम है। अगर जुआरी पहली बार में ही हार स्वीकार करके पीछे है जाता तो बाकि के नुक्सान और हार की जिल्लत से बच जाता। यह बात हमेशा याद रखिये की हम हमेशा जीतेंगे यह जरुरी नहीं , और हम अपनी असफलता से कितनी जल्दी सबक लेंगे यही समझदारी है।
नाकामी को दिल से नहीं दिमाग से समझे :
हर इंसान कामयाब होने के लिए ही कुछ भी काम करता है , पर कुछ न कुछ ऐसा रह जाता है जो नाकामी का कारण बनते है , तो हार को अपनी जिंदगी का failure न मान कर एक बढ़ा की एक चुनौती के रूप में स्वीकार करना चाहिए। काम करते वक़्त भी तो हमें बाधाए आती है हम उनसे परेशान नहीं होते क्योकि हमें उन आने वाली मुश्किलों का अनुमान होता है पर जब अचानक से असफलता हाथ लगे तो हम टूट जाते है , हमें टूटने की बजाए खुद को और अच्छे से तैयार करना चाहिए।
असफलता के कारणों को खोजिए :
सफलता कई सारी चीज़ो का मिश्रण है जैसे आत्मविश्वास , सही ज्ञान , निरंतरता , सही अनुमान , हालात आदि। पर सफल होने के लिए ये सभी चीज़े एक अनुपात में होनी जरुरी है। अगर अनुपात बिगड़ा तो परिणाम असफलता के रूप में सामने आता है। असफल होने पर लोग अक्सर दूसरों को दोष देने लगते है
पर ऐसा करने की बजाय खुद की जिम्मेदारी को स्वीकारे क्योकि सफल होने पर सफलता का श्रेय भी आपको ही मिलना था। जब आप असफलता को स्वीकार कर लेते है तो आप पर से खुद को जीता हुआ साबित करने का बोझ हट जाता है। और आप सही विवेक से असफलता के कारणों का मंथन कर पाते है।
दुबारा से योजना बनायें और पूरे मन से प्रयास कीजिये :
असफलता के कारणों को पहचान कर उनका समाधान ढूंढिए और नए सिरे से रणनीति तैयार कीजिये , रणनीति को अच्छे से परखिए ,नया लक्ष्य निर्धारित कीजिए , अगर लक्ष्य बड़ा है तो अपने लक्ष्य को छोटे छोटे हिस्सों में बाँट लीजिए और एक एक लक्ष्य को पूरा करते हुए आगे बढ़िए , निरन्तर कोशिश कीजिये सही दिशा में कीजिये सफलता अवश्य आपकी होगी
यह कोई नया तरीका नहीं है असफलताओं से जूझने है शायद हम सभी को इसके बारे में पता हो पर जब असफलता के काले बादल छाते है तो हम सब भूल कर उसी असफलता पर सारा ध्यान केंद्रित कर लेते है , फार्मूला यही है बस जरुरत है तो समय पर आप इसे अपनाए
आपके मन में कोई भी प्रश्न हो तो कमेंट में लिखिए।