इस लेख की शुरुआत में एक छोटे पर बड़े काम के उदाहरण से शुरू करूँगा। अपने अक्सर सर्कस में हाथी को देखा होगा ,हम सभी को हाथी की क्षमता का पता है , पर शायद उस सर्कस के हाथी को अपनी ताकत नहीं पता होती। या कह सकते है वो भूल चूका होता है। सर्कस वाले हाथी को एक छोटे से लकड़ी के खूंटे में जंजीर बांध कर उसका दूसरा सिरा उस हाथी के पांव में बांध देते है।
और वह बलशाली हाथी उस जंजीर से चुप चाप बंधा रहता है। वो उसे तोड़ने की कोशिश भी नही करता। ऐसा वह अपनी बचपन की आदत या अनुभव के आधार पर करता है। बचपन में जब वह बच्चा होता है और उसे खूंटे से बांधा जाता है ,तो वह उसे तोड़ने की कोशिश करता है, पर खूंटा उसकी शक्ति के अपेक्षा जयादा मजबूत होता है तो वह उसे तोड़ नहीं पाता। और वह हार मान लेता है ,इसी विश्वास के साथ की वो इस खूंटे को तोड़ नही सकता। वह कोशिश छोड़ देता है। और हमेशा उसी खूंटे से चुप चाप बंधा रहता है। हम भी ऐसा ही करते है। अपने जीवन के अलग अलग अनुभवों से हम या तो अपनी शक्तियों को भूल जाते है या उसे जान ही नहीं पाते।
आप जीवन में कुछ करना चाहते है। आगे बढ़ना चाहते है तो सिर्फ अपनी कमजोरियों को पहचान के दूर करने का प्रयास ही काफी नहीं आपको अपनी क्षमताओं को भी पहचानना होगा , खुद को भी जानना होगा। और अपनी क्षमताओ से भी लाभ उठाना होगा। अपनी क्षमताओ से लाभ उठाने के लिए जरुरी है अपनी क्षमताओं को जानना। और क्षमताओं को जानने के लिए अध्यन की जरुरत पड़ेगी। सामान्यतः हम स्व विश्लेषण करते है और अपनी कमियों और खूबियों दोनों को ढूंढने की कोशिश करते है। पर क्या यह विश्लेषण हमने सही किया है या नहीं हमें कैसे पता चले ? दरअसल यह एक कठिन कार्य है।
कुछ लोग इस तरह के विश्लेषण के लिए मनोवैज्ञानिक परीक्षण भी करते है (इंटरनेट पर कई तरह के ऑनलाइनपरिक्षण उपलब्ध है ) वो कुछ हद तक सही भी हो सकते है। पर मेरी रॉय इस विषय पर कुछ अलग है। दरअसल हमसे बेहतर हमें कोई नहीं जानता। डॉ स्यूस कहते हैं, \’आज आप केवल आप हैं, यह सत्य से भी अधिक सत्य है। और इस दुनिया में ऐसा कोई व्यक्ति जीवित नहीं जो स्वयं आप जितना आप हो।\’ यानी आप अपनी तरह के अकेले है। कुछ व्यक्तियों के लिए जो चीज़े खूबियां होती है वो दूसरों के लिए कमी भी हो सकती है
हमें अपनी शक्तियों को जानने की जरुरत क्यों पड़ती है :
जाहिर सी बात है हम सब अपने जीवन में स्वयं को किसी बड़े मुकाम पर देखना चाहते है। और इस मुकाम को पाने के लिए हमे जरुरत होती है अपना बेस्ट जानने की ताकि हम अपना बेस्ट जान कर खुद को स्थापित कर सकें।
कैसे पहचाने खुद के छिपे हुए गुणों को :
जीवन खुद को जानने का ही नाम है , यह जन्मो की प्रक्रिया है जो निरंतर चलती रहती है। पर अपने गुणों को जानने के लिए हम एक छोटी सी तकनीक आपको दे रहे है जिसे अपना कर आप अपने छुपे हुए गुणों को पहचानने में आपको मदद मिलेगी।
1 . अपने लिए दर्पण ढूंढिए :
कहते है आइना सब बता देता है \” आइना झूठ नहीं बोलता \” मेरा मतलब कांच के शीशे से नहीं। जिससे हम अपने बाहरी गुणों को देखते है। मेरा मतलब हमारी खूबियों को दिखाने वाला दर्पण। हमारे गुणों को परखने का दर्पण हमारे आप पास के लोग है। ये हमे हमसे बेहतर जानते है। आपको अपने जानकर लोगो में से 15 – 20 लोगो का चुनाव करना है जो आपके मत से अपनी राय प्रस्तुत करने की क्षमता रखते हो। इनमे आपके परिवार के लोग , सहकर्मी , आपके विरोधी आपके हेलो हाय फ्रेंड्स सभी को शामिल कीजिये।
2 . सबसे दो सवाल पूछिये :
जब आपने यह ग्रुप बना लिया तो आपको इन सब लोगो से दो सवाल पूछने है।
अ ) अपनी 5 खूबियाँ पूछिये
ब ) अपनी 5 कमियां पूछिये
ध्यान रहे आपको सबसे अलग अलग समय में ये सवाल पूछने है। और किसी को नहीं बताना की आप खुद के विश्लेषण के लिए ऐसा कर रहे है। आपको उनकी
बात को काटना नहीं है ,हाँ आप उनसे उस बात को विस्तार से समझने के लिए बोल सकते हो। इन जवाबो को एक जगह पर लिख ले।
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3 . विश्लेषण करें :
अब इन जवाबो का बारीकी से अध्यन करें। हो सकता है कुछ ऐसे जवाब हो जो सभी लोगो ने एक मत से दिया हो। और कुछ ऐसे जवाब हो जो सिर्फ एक ही व्यक्ति ने दिया हो। आप किसी भी बात को एक दम से नरअंदाज़ मत कीजिये। हो सकता उस एक जवाब में ही आपकी सफलता का राज छुपा हुआ हो। और अपनी कमियों का भी बारीकी से निरिक्षण करें। देखे आपके विरोधी ने और आपके पक्ष वाले व्यक्ति ने आपको क्या जवाब दिए है।
लोग अकसर रटे रटाये जवाब दे देते है। तो आप चापलूसी से बचे। आपको किसी भी नतीजे पर पहुँचने से पहले उन शक्तियों और कमियों को अपने आप से परखना है। इसके लिए अपने अतीत की घटनाओं पर नजर डालें और देखे की क्या ऐसा सच में है। अगर ऐसा है तो अपनी उस शक्ति को पहचान कर यह निश्चित करें की आप इस शक्ति का किस तरह से अपनी तरक्की के लिए उपयोग कर सकते है।
शक्तिया व क्षमताये हर व्यक्ति के भीतर मौजूद है । मात्र कमी इतनी है की व्यक्ति उन्हें पहचान नही पाता समझ नही पाता और न ही उनका उपयोग कर पाता है । दरअसल हम अपनी कीमत ही नही समझ पाते और सदैव स्वयं मे कमिया देखते रहते है । यह नही देख पाते की इन कमियो के बावजूद हमारे अंदर क्या खूबी है ।
दोस्तों हमें अपने अंदर की क्षमताओ का उपयोग करना चाहिए और चुनौतीओ को स्वीकार करना चाहिए तभी हम अपनी शक्तियों व क्षमताओ से परिचित हो सकेंगे ।
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