पारले जी(Parle-G) बिस्कुट की दुनिया का एक ऐसा नाम है जिसने बिस्कुट के स्वाद को घर घर तक पहुचायाँ | लेकिन पारले का अपनी 87 साल पुरानी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट को बंद करने का निर्णय इसे सुर्ख़ियों में ले आया है | ऐसा कंपनी ने 2 सालों से हो रहे घाटे की वजह से किया | चूँकि इस यूनिट से पिछले 2 सालों से अच्छा उत्पादन नहीं हो रहा था इसलिए इसे बंद करने का कोई भी प्रभाव पारले जी की मार्किट supply पर नहीं पड़ेगा | इस मैन्युफैक्चरिंग यूनिट की स्थापना 1929 में मुंबई के विल्ले पारले में की गयी व पारले जी बिस्कुट का उत्पादन 1939 में शुरू किया गया | उस समय इन बिस्कुट को पारले गुल्को के नाम से जाना जाता था |
आपको जानकर हैरानी होगी कि विल्ले पारले के पारले से ही इस ब्रांड का नामाकरण हुआ | लेकिन जहाँ सारे देश से पारले जी का उत्पादन अच्छा हो रहा है वहां इस यूनिट में उत्पादन क्यूँ घटा | यह यूनिट 10 एकड़ में फैली है और जिस एरिया में यह यूनिट है उसका मार्किट प्राइस 25 से 30 हज़ार प्रति स्क्वायर फीट है इसके अलावा यह यूनिट ऐसे जगह पर है जहाँ जमीन मिलना आसन नहीं है | इसलिए ऐसा भी माना जा रहा है कि इस यूनिट को बंद करने का एक कारण यह भी हो सकता कि कंपनी रियल एस्टेट में कदम रखना चाहती हो और मुंबई जैसे क्षेत्र में रियल एस्टेट का बिज़नस हमेशा up रहता है | ऐसे कयास इसलिए भी लगाये जा रहे है क्यूंकि अभी तक कंपनी ने यह साफ़ नहीं किया है कि यूनिट बंद होने पर जमीन का क्या होगा ?
इस यूनिट में काम करने वाले लगभग 300 कर्मचारियों को कंपनी ने VRS दे दिया है लेकिन पारले जी की इस यूनिट के बंद होने के कारण इसके आस पास के लोग एक चीज बहुत मिस करेंगे और वो इस यूनिट की बेकरी की खुशुबू , ऐसा एक नहीं इस यूनिट के आस पास रहने वाले बहुत से लोगों का कहना है |