2008 में जब रैनबैक्सी फार्मा के बिक जाने की बात बाजार में आई तो यह खबर सबके लिए चौंकाने वाली थी , उस समय यह मार्किट प्राइस से बहुत ऊँचे दामों पर बिकी थी , और ऐसा माना जा रहा था की यह दाइची लिए बहुत फायदे का सौदा था.
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सिंगापूर के कोर्ट ऑफ़ आर्बिट्रेशन ने रैनबैक्सी लैबोरेट्रीज के प्रमोटर्स मलविंदर मोहन सिंह और शिवेंदर मोहन सिंह को बड़ा झटका देते हुए $ 400 मिलियन (2600 करोड़ रुपए ) का जुर्माना लगाया है।
ज्ञात हो इस समस्या की शुरुआत 2008 में हुई जब दाईची सैंक्यो ने $4.6 billion में रैनबैक्सी लैबोरेट्रीज को खरीदा। दाईची सैंक्यो ने 2013 में रैनबैक्सी के प्रमोटर्स सिंह brothers पर तथ्यों को छुपाने और जानकारी को तोड़ मरोड़ कर प्रस्तुत करने का आरोप लगाया। दाइची का कहना था की रैनबैक्सी के 30 प्रोडक्ट्स ऐसे थे जिन्हे यू इस ऍफ़ डी ए नकार चुका था ,जिसे रैनबैक्सी के प्रमोटर्स मलविंदर और शिवेंदर ने उनसे छुपाया। यू एस डिपार्टमेंट ऑफ़ जस्टिस के साथ हुए सेटलमेंट में $500 मिलियन के जुर्माने की भरपाई के लिए दाइची ने दोनों Singh Brothers पर सिंगापूर के कोर्ट ऑफ़ आर्बिट्रेशन में केस कर दिया था। जिसका फैसला दाइची के हक़ में आया और मलविंदर और शिवेंदर पर आर्बिट्रेशन ने $ 400 मिलियन (2600 करोड़ रुपए ) का जुर्माना लगा दिया ।
आर्बिट्रेशन आर्डर को मलविंदर मोहन सिंह के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। उनके भाई शिवेंदर कंपनी की मुख्य जिम्मेदारियों से है चुके है
वो आज कल पंजाब स्थित मशहूर श्री राधा स्वामी सत्संग ब्यास से जुड़ चुके है।