Lupin और देश बन्धु गुप्ता की कामयाबी का सफरनामा

कामयाबी की सीढ़ियों पर उत्तार चढ़ाव को बर्दाशत करने वाला ही शिखर तक पहुँचता है और इस बात का जीता जागता सबूत हैं – देश बन्धु गुप्ता

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देश बन्धु गुप्ता किसी समय में Birla Institute of Science and Technology, Pilani, Rajasthan में केमिस्ट्री के प्रोफेसर हुआ करते थे।

उन्होंने 1968 में 30 साल की उम्र में अपनी धर्मपत्नी से 5000 रूपए उधार लेकर Lupin (एक विटामिन की कंपनी) की शुरुवात की।देश की सेवा करने का जज़्बा इतने से पूरा होता हुआ जब देश बन्धु गुप्ता को नज़र नहीं आया तो उन्होंने सेंटरल बैंक से 5 लाख का लोन लेकर Lupin Pharmaceuticals की नींव रखी और सबसे पहले Tuberculosis (TB ) की दवा बनाना आरम्भ किया।उन दिनों में यह बीमारी बहुत ज़्यादा फैली हुई थी।देश के लिए किया गया यह काम बेहद सफल हुआ उसके बाद देश बन्धु गुप्ता ने कभी पिच्छे मूड कर नहीं देखा।

समाज की सेवा का भाव लेकर देश बन्धु गुप्ता ने 1988 में Lupin Human Welfare & Research Foundation की स्थापना की यह दक्षिण एशिया की प्रमुख non-governmental organizations में से एक है।

आगे चल कर देश बन्धु गुप्ता ने U.S और Japan के साथ साथ Brazil और Russia की कम्पनियों का Lupin में समावेश करवाया जिन को देश बन्धु गुप्ता की बेटी विनीता और बेटा नीलेश संभल रहे हैं।इन सबकी मेहनत का फल है के आज यह परिवार 7.2 billion का मालिक है और इसी के चलते आज देश बन्धु गुप्ता दुनिया के सबसे अमीर लोगों की सूची में 254th स्थान पर हैं।

आज Lupin; फार्मा के साथ साथ API में भी अपना स्थान बनाने के लिए तत्पर है।फार्मा में अपने योगदान के लिए देश बन्धु गुप्ता ने फार्मा लीडरशिप समिट 2009 के दौरान लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार प्राप्त किया।उन्हे 2011 में Visionary Leader award से भी सम्मानित किया गया। 2015 में Entrepreneur of the Year का अवॉर्ड भी gupta\’s के नाम रहा।

आज Lupin देश की दूसरी बड़ी companies को पीछे छोड़ इस मक़ाम तक पंहुचा है और आगे बढ़ता जा रहा है।

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