एक रिक्शा चालक का बेटा गोविन्द जायसवाल , जिसने अपने बचपन को इतने आभाव में गुजारा ज़माने के ताने सहे , परिवार का शोषण सहा , पर उनका एक ही बात पर विश्वास था की ,आभाव में ही प्रभाव है , गोविन्द का मानना है , उनके जीवन में आने वाली दिक्कतों ने उन्हें बल दिया
गोविन्द के जीवन का परिवर्तन एक घटना से हुआ जब वह अपने एक मित्र के साथ खेलने उसके घर गया तो उस बच्चे के पिता ने उसे डांट कर घर से बाहर कर दिया , तब शायद वो समझ नहीं पाया की उसका कसूर क्या है , और जब इसके विषय में उसने किसी मित्र से पूछा तो उसने बताया की ऐसा उसकी सामाजिक स्थिति की वजह से हुआ , तो गोविन्द ने पूछा की यह स्थिति कैसे बदल सकती है , तो उस मित्र ने कहा या तो तुम्हारे पिता बदल सकते है , या तुम कुछ ऐसा बड़ा मुकाम हासिल कर लो , तो गोविन्द ने पूछा ऐसा कोनसा मुकाम है तो उस वरिष्ठ व्यक्ति ने कहा तुम IAS बन जाओ , और यही बात गोविन्द के दिमाग में बैठ गयी , आइये गोविन्द से खुद ही सुनते है उनके इस महान संघर्ष की कहानी