2007 में शुरू हुई पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड जिसकी स्थापना स्वामी रामदेव के सहयोगी आचार्य बाल कृष्ण ने की थी। जिसका उद्देशय भारतीय आयुर्वेद को उसकी खोयी पहचान दिलाना था।
देश भर में पतंजलि आयुर्वेद के 15000 से ज्यादा आउटलेट्स पतंजलि की कामयाबी का सुबूत है,जहाँ पतंजलि के सभी उत्पाद उपलब्ध है। पतंजलि की शुरुवात भी सामान्य आर्गेनिक फ़ूड बनाने वाली कंपनी की तरह ही हुई , तब किसी ने भी नहीं सोचा होगा की एक दिन पतंजलि आयुर्वेदिक और उपभोक्ता उत्पादों में इतना बड़ा नाम बन जायेगा।
पतंजलि की कामयाबी के पीछे सबसे बड़ा हाथ स्वामी रामदेव का है , दिलचस्प बात यह है की बाबा रामदेव की कंपनी में कोई हिस्सेदारी नहीं है , उनके अनुसार यह व्यापार नहीं बल्कि एक सामाजिक परिवर्तन कोशिश है।
क्या है पतंजलि की कामयाबी का राज :
पतंजलि की कामयाबी के लिए लगातार प्रयासरत स्वामी रामदेव की कोशिश और उनकी कंटेंट मार्केटिंग का कमाल है जिसने पतंजलि को मार्किट लीडर बना दिया।
बेहतर मार्केटिंग
- इंसान का स्वभाव है वो अपने फायदे की बात को दिलचस्पी से सुनता है और उसे अपनाता भी है , बाबा ने जहाँ योग का एक साम्राज्य खड़ा किया वहीँ लोगो में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता भी पैदा की।
- बाबा ने नहीं कहा की हमारा प्रोडक्ट ही सबसे बेहतर है , बल्कि उन्होंने बहुराष्ट्रीय कंपनियों के भारत से प्रॉफिट कमाने को अपना हथियार बनाया। उन्होंने लोगो से मेड इन इंडिया प्रोडक्ट को खरीदने के लिए प्रेरित किया।
- उन्होंने लोगो को स्वास्थवर्धक चीजे इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित किया। इसके लिए उनके योग शिविर में आये लाखों लोग बाबा के ब्रांड एम्बेसेडर बन गए।
- उन्होंने लोगो को केमिकल प्रोडक्टस से होने वाले सेहत के नुकसान और पतंजलि आयुर्वेद के प्रोडक्ट्स के इस्तेमाल से होने वाले लाभ को लोगो के सामने रखा।
- स्वदेशी सामान खरीदने को बढ़ावा दिया और लोगों के पास स्वदेशी प्रोडक्ट्स की एक विस्तृत रेंज को उपलब्ध करवाया।
प्रोडक्ट की गुणवत्ता
केवल बढ़िया मार्केटिंग के दम पर यह संभव नहीं था , पतंजलि प्रोडक्ट्स की बेहतरीन क्वालिटी , उचित कीमत का इसमें बहुत बड़ा हाथ है।
मार्किट में उपलब्धता
आज पतंजलि के सामान की उपलब्धता देश के हर कोने में है , चाहे वो बड़े शॉपिंग मॉल हों चाहे वे छोटी दुकाने हो पतंजलि के प्रोडक्ट हर जगह उपलब्ध है।
पतंजलि की कामयाबी उसकी विशिष्ट मार्केटिंग , उत्कृष्ट क्वालिटी और बेहतरीन वाणिज्य प्रणाली की देन है।