इस युग के बच्चे कुछ भी कर सकते हैं – पढ़िए इनके कमाल

\”पढोगे लिखोगे बनोगे नवाब ,खेलोगे कूदोगे होगे ख़राब \” ऐसी बातें हम ने बचपन में बहुत सुनी हैं।लेकिन आज के बच्चे कुछ अलग सोच रखते हैं , ये बच्चे जिस काम को करना शुरू करते हैं उस को इतनी शिदत से करते हैं के नाम बना जाते है।ऐसे ही कुछ बच्चों के बारें में आज हम आपको बता रहे हैं ये बच्चे अपने काम में इतने निपुर्ण हैं के आज बड़ी – बड़ी companies और organizations इनके पास मदद लेने आती हैं।

इस list में जिन बच्चों का नाम हैं उस में सबसे पहले हैं :-

  1. अक्षत मित्तल :- Noida के Amity International School की क्लास 9th में पढ़ने वाले अक्षत ने Delhi में odd-even rule से car -pooling को सुविधाजनक बनाने के लिए एक website (oddeven.com) का निर्माण किया।यह website बेहद कारगर साबित हुई, आज कार इस्तेमाल करने वाले ज़्यादातर लोग इस website का इस्तेमाल करते हैं।अक्षत ने odd-even rule start होने से पहले ये website बेच दी जो आज Orahi.com नाम से सेवाएं दे रही हैं।
  1. अकृत प्रण जसवाल :- अकृत ने 7 साल की उम्र में एक घण्टे की surgery करके एक लड़की के  हाथ की सभी fingers को successfully जोड़ दिया, उसके बाद वो सुर्ख़ियों में छा गया ।आज अकृत को London के Imperial College ने cancer के medicine बनाने की research का हिस्सा बनने के  लिए invite किया है।
  1. श्रवण और संजय कुमारन :-14 और 15 आयु के ये कुमारन भाई आज अपना नाम पूरी दुनिया में रौशन कर रहे हैं इन दोनों को मोबाईल Application बनाने में महारत हासिल है।दोनों में छोटा संजय, मोबाईल Application बनाने वाला भारत का सबसे छोटा लड़का है।इन दोनों ने APPLE , GOOGLE और WINDOWS के लिए भी apps बनाए हैं।
  1. रूबेन पॉल :- रूबेन अमेरिकन -इंडियन हैं और ये किसी  भी पासवर्ड को crack कर सकते हैं। इन में किसी भी android फोन को या किसी भी password protected सिस्टम को hack करनेका हुन्नर है।रूबेन आज दुनिया के सबसे कम उम्र के hacker का दर्ज़ा पा चुके हैं।आज India और USA के software development units और special security wing (cyber crime) इन से मदद लेकर अपने software को high-tech बनाने की और देश की सुरक्षा को अचूक करने की कोशिश कर रहे हैं।
  1. अनिमेष त्रिपाठी :- दोस्ती का पाठ हमे अनिमेष जैसे दोस्त ही सीखा सकते हैं। 17  वर्षीय अनिमेष ने, उनके दोस्त के color-blind  होने की वजह से IAF में rejection के चलते Google Crome Extention नाम का browser बनाया जिससे color-blind लोगों को किसी भी site पर color Identification में problem नहीं होगी।

अपने दिमाग की power को मनवा चुके ये और इन जैसे हज़ारों बच्चों पर आज भारत गर्वान्वित महसूस करता है।

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