भारतवर्ष को विभिन्नताओं का देश कहा जाता है , यहाँ विश्व में सबसे अधिक भाषाएँ बोली जाती है | अनेकों धर्म व जाति के लोग इस देश में रहते है | विभिन्न मत होने के कारण विसंगतिया होना स्वाभाविक है, जिस देश की जनसंख्या 100 करोड़ से ऊपर हो वहां कुछ लोग अच्छे भी होंगे व कुछ बुरे भी लेकिन अगर आप ये सोंचे कि भारत में जातिवाद या धर्मवाद का बोलबाला है तो कभी ट्रेन के जनरल वार्ड में सफ़र कर के देखें , आपको वास्त्विकता पता चल जायेगी |
भारतवर्ष की ये ही विविधताएँ भारत के राष्ट्रीय ध्वज के नीचे एक होती है | आसमान में लहराते तिरंगे को देखकर हर किसी को गर्व की अनुभूति होती है | आर्थिक रूप से पिछड़े व विभिन्न धर्मो व जातियों की कुछ महिलाओं स्वयं को भारत के महान चिन्ह के निर्माण में लगाया हुआ है | ये महिलाएं “कर्नाटक खादी ग्रामोद्योग संयुक्त संघ “ में काम करती है , जो धारवाड़ के के बेन्गेरी गाँव में है , जो कि भारत के राष्ट्रिय झंडे का एकमात्र निर्माण स्थल है और यहाँ से सम्पूर्ण भारत में राष्ट्रिय ध्वज भेजें जाते है |
यह फेडरेशन 10,500 के अमाउंट से शुरू की गयी थी व वर्तमान में इसका टर्न ओवर 1 करोड़ प्रति वर्ष है | कर्नाटक खादी ग्रामोद्योग संयुक्त संघ (KKGSS) भारत की एकमात्र ऐसी जगह है जहाँ भारत के राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण ब्यूरो ऑफ़ इंडियन स्टैंडर्ड्स (BIS) द्वारा तय किये गए मानकों के अंतर्गत होता है | यह कपडा जीन्स के मटेरियल से भी अधिक मजबूत होता है | यहाँ तेयार किये गए राष्ट्रीय ध्वज का कपडा कर्नाटक खादी ग्रामोद्योग संयुक्त संघ (KKGSS) की ही सूत कातने वाली इकाई में तैयार किया जाता है जिसे 3 भागो में विभाजित किया जाता है | इसके दो भागो को भारतीय ध्वज के केसरिया व हरे रंग में रंगा जाता है व सफ़ेद भाग पर अशोक चक्र प्रिंट किया जाता है |
KKGSS में 60 सिलाई मशीन है जो BIS द्वारा टी मानकों के अनुरूप झंडा तैयार करती है | पूरा मटेरियल 18 बार quality checking के प्रोसेस से गुजरता है ,लेकिन अगर इसके बाद भी कोई कमी रह जाती है तो BIS पूरा lot रिजेक्ट कर देती है | कठोर मापदंडो के बाद भी BIS द्वारा केवल 10% माल ही साल में रिजेक्ट होता है |
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि पिछले लगभग 10 सालों से यहाँ के स्टाफ में अधिक बदलाव नहीं हुए , क्यूंकि अधिकांश वर्कर कठिन guideline के अंतर्गत काम कर नहीं पातें और किसी दुसरे काम की तलाश में चलें जाते है |
यहाँ काम करने वाली महिलाओं के लिए यह कार्य केवल आजीविका कमाने का साधन नहीं है बल्कि इस काम से वे अपने देश की सेवा भी कर रही है | वो सभी एक स्वर में कहती है “वो सभी राष्ट्रीय झंडे जो आप किलों पर, सरकारी ऑफिस में, खेल के मैदानों में व इंटरनेशनल फ़ोरम्स में देखते है , वो सभी यहाँ बनाए जाते है , हम उन्हें बनाते है |”
वर्तमान में भारतवर्ष की असमानताओ कि विषय में इनका कहना है कि “हम सभी KKGSS में विभिन्न धर्मों से आते है लेकिन यहाँ आकर हमारा उद्देश्य भारत के राष्ट्रीय ध्वज को सही ढंग से बनाना हैं | ऐसी नफरत भरी भावनाए कुछ ही लोगों द्वारा अपने स्वार्थ पूर्ति के लिए फैलाई जा रही है और इनका सामना हमें अपनी एकता से करना है |”