नोट बंदी किसी भी अर्थव्यवस्था के लिए चुनोती से भरा निर्णय होता है. इसे सिर्फ हमारे देश ने ही नहीं अपनाया बल्कि हमसे पहले भी कुछ देश इसे अपना कर अपनी अर्थव्यवस्था को दुरुस्त कर चुकें है. लेकिन हमारे देश में अधिक परेशानी इसलिए आ रही है क्यूंकि हमारी अर्थव्यवस्था में नकद अधिक चलता है और दूसरा हमारे देश की आबादी भी अधिक है.
प्रधानमन्त्री के इस फैसले का असर सिर्फ काले धन पर पड़ेगा ऐसा नहीं है. नोट बंदी के बाद अब प्रधानमंत्री देश में ये बड़े बदलाव लाने वाले है.
-
बड़ी मछलियाँ फसेंगी जाल में :
अभी तक आयकर विभाग ने बहुत से भ्रष्ट लोगों को अपनी हिरासत में ले लिया है. रोज़ नये नाम सामने आ रहे है. प्रधानमंत्री के निर्देश पर बैंकों में स्टिंग ऑपरेशन किये जा रहे है. लगभग 200 बैंक कर्मियों का नाम भी काले धन को सफेद करने में आया है. इनसे उन लोगों के नाम भी सामने आ रहे है जो हर बार अपने रसूख का फायदा उठाकर किसी भी तरह की कार्यवाही से बच जाते थे. इसमें इंडस्ट्रलिस्ट, ब्यूरोक्रेट्स, बैंकर्स, पॉलिटिशियन जैसे लोग सीधे टारगेट होंगे और उनके पास बचने का कोई आप्शन भी नहीं होगा.
-
सैलरी आयेगी सीधे अकाउंट में :
सरकार ने इंडस्ट्रियल वर्कर्स की तनख्वाह सीदे उनके अकाउंट में भिजवाने की दिशा में अपने प्रयास तेज कर दिए है.नकद में सैलरी देने से बहुत बार काले धन को भी ठिकाने लगाया जाता है. अगर सैलरी डायरेक्ट वर्कर के अकाउंट में आयेगे तो सरकार ये पता कर पायेगी कि फलां इंडस्ट्री अपने वर्कर को न्यूनतम सैलरी दे भी रही है या नहीं. अगर सैलरी में कोई अनियमितता है वो भी वर्कर प्रूफ के साथ अपनी कंपनी में दिखा सकता है. और बैंक में सैलरी आने से सरकार का कैशलेस इकॉनमी का सपना भी साकार होगा.
-
सरकारी खरीद में बिचोलियों की भूमिका होगी कम :
सरकार द्वारा किए जाने वाली खरीद में बड़े पैमाने पर रिश्वत की शिकायतें आती रहती है. सरकार बड़े पैमाने पर ई-पोर्टल GeM लांच करने के विषय में प्लान कर रही है. इस पोर्टल के जरिये सरकार हर साल 4 लाख करोड रूपये की सरकारी खरीदारी में पारदर्शिता लाना चाहती हैं. इस पोर्टल पर सल्लेर्स डायरेक्टली अपना माल सरकार को बेच सकेंगे. इससे सरकार को भी बिचोलियों को कमीशन नहीं देना होगा जिससे सरकार को भी अच्छी बचत होगी.
-
एक ही मोबाइल वॉलेट होगा
: अभी तक अगर आपको अपने e-वॉलेट या मोबाइल वॉलेट से पे करना है तो आपके पास यानि खरीददार व दूकानदार के पास एक ही मोबाइल वॉलेट होना जरूरी है. लेकिन सरकार इस दिशा में भी काम कर रही है कि इस मोबाइल वॉलेट को इंटरऑपरेबल बनाया जाएगा। यानी आप किसी भी कंपनी के वॉलेट से दूसरी कंपनी के वॉलेट में पेमेंट कर सकें.