फैक्ट्रियों में काम करने वाले कामगारों की सैलरी भी आयेगी उनके बैंक अकाउंट (e-payment) में.

भारत सरकार सभी तरह के लेन देन अधिक से अधिक कैशलेस तरीके से करने पर जोर दे रही है. क्यूंकि जितना अधिक लेन देन बैंक अकाउंट से होगा उतने ही कम मौके लोगों को काला धन रखने के मिलेंगे. इसी क्रम में सरकार अब देश के औद्योगिक कामगारों को सीधे खात (e-payment) में वेतन दिए जाने के बारे में योजना बना रही है.

सरकार के सूत्रों ने बताया कि सरकार ने इस विषय पर एक कैबिनेट नोट सर्कुलेट किया गया है जिसमें कहा गया है कि इससे देखा जा सकेगा कि वर्करों को न्यूनतम वेतन मिल रहा है कि नहीं। इसकी पुष्टि केंद्रीय श्रम मंत्री बंडारु दत्तात्रेय ने भी की. दत्तात्रेय ने कहा कि केंद्र सरकार जल्द ही पारिश्रमिक भुगतान कानून को संशोधित करेगी ताकि कर्मचारियों को उनके वेतन का भुगतान चेक के माध्यम से या बैंक खाते में किया जा सके. ऐसी मांगे ट्रेड यूनियनों की तरफ से भी आ रही है कि कर्मचारियों का वेतन उनके बैंक खातों में इलेक्ट्रॉनिक माध्यम (e-payment) से पहुंचे और इसके लिए पारिश्रमिक भुगतान कानून संशोधित किया जाए.

इस नियम के तहत ऐसे वर्कर जिनकी मासिक आय 18,000 रुपये से अधिक नहीं है वे इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट (e-payment) के हकदार होंगे. अब अधिकतर वर्करों के पास बैंक खाता है. अगर इनके बैंक खातो में डायरेक्ट सैलरी डाली जायेगी तो नकद में सैलरी देने पर होने वाले भ्रष्टाचार से मुक्ति मिल सकती है.

अगर इलेक्ट्रॉनिक तरीके से श्रमिकों को उनकी मजदूरी मिलने लगेगी तो  ठेकेदार उनके साथ धोखाधड़ी नहीं कर पायेंगे. इसलिए भी सरकार इलेक्ट्रॉनिक भुगतान (e-payment) की तरफ प्रयासरत है. इसके लिए सरकार को पारिश्रमिक भुगतान अधिनियम, 1936 की धारा 6 में संशोधन करेना होगा, जिसके जरिये औद्योगिक या अन्य प्रतिष्ठानों में वर्करों को सीधे खाते में या चेक के द्वारा भुगतान देना संभव हो सकेगा.

जन धन योजना से जुड़कर आज निचले व गरीब मजदुर का भी बैंक में अकाउंट है इसलिए इस योजना को अपनाने में  बहुत दिक्कते नहीं आयेंगी. साथ ही अगर इलेक्ट्रॉनिक तरीके (e-payment) से वर्कर्स को पेमेंट दिया जायेगा तो ये पता करना भी आसान हो जायेगा कि मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी मिल रही है या नहीं.

 

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