भारत की राजधानी Delhi का बढ़ा हुआ Pollution हम सभी के लिए एक alarming सिचुएशन है | ऐसी ही किसी प्रॉब्लम से बचने के लिए दिवाली से हफ़्तों पहले लोग सोशल मीडिया के माध्यम से पटाखे न जलाने की request करना शुरू कर देते है | लेकिन फायदा कुछ नहीं होता |
अब भी बहुत लोग Delhi के Smog के लिए दिवाली पर चलाये गये पटाखों को दोष दे रहे होंगे | लेकिन क्या सिर्फ पटाखे ही इस Smog का कारण है ? चलिए जानते है |
Delhi की वर्तमान हालत के लिए सिर्फ और सिर्फ पटाखों को दोष देना सही नहीं है | इस Smog का एक कारण सडको पर चलते 10 साल से पुराने वाहन भी है जो औसत से ज्यादा Pollution फैलाते है | इसके अलावा Delhi से होकर जाने वाले ट्रक्स भी इस Smog के लिए बहुत हद तक जिम्मेदार है| लेकिन सबसे ज्यादा इस Smog के लिए किसान जिम्मेदार है | अपने खेतों में बची हुई फसल के अवशेष जिसे आम भाषा में पराली भी कहते है को अगली फसल उगाने के लिए जलते है , इसे जलाने से जो धुँआ इक्ठठा हो रहा है उसने Delhi में अपना डेरा जमा लिया | Delhi विश्व की 11वीं सबसे प्रदूषित जगह है | ये प्रदुषण Smog के रूप में इसलिए दिख रहा है क्यूंकि Delhi में हवा की गति हाल के दिनों में बहुत कम कम है |
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इसके अलावा इन कुछ बातों पर भी ध्यान देने की जरूरत है |
- 2002 से 2012 के बीच में केवल Delhi में 97% कारों की बढ़ोतरी हुई | नतीजन pollution तो बढना ही है |
- अगर आप Delhi को प्रदुषण से बचाने के लिए साइकिल का आप्शन चुनना चाहते है तो ऐसा खुद को खतरे में डालने के सिवा कुछ नहीं है | क्यूंकि रोड पर पैदल और साइकिल से चलने वालो के लिए जगह ही नहीं है |
- डीजल से चलने वाले वाहन पेट्रोल से चलने वाले वाहनों से अधिक प्रदुषण फैलाते है | और क्यूंकि डीजल पेट्रोल से सस्ता है इसलिए लोग डीजल से चलने वाले वाहनों को खरीदना ज्यादा पसंद कर रहे है | जिसका नतीजा अधिक Pollution |
प्रति वर्ष Delhi में Smog पिछले वर्षों की तुलना से अधिक ही होता है | फिर भी अच्छी, स्वस्थ व साँस लेने लायक हवा से ज्यादा हमें दिवाली पर पटाखे जलाना जरूरी लगता है | सस्ती डीजल से पैसे बचने के चक्कर में हम सांसो से जुडी बिमारियों का शिकार होना ज्यादा पसंद कर रहे है |
अगर हम अपनी अगली पीढी को स्वस्थ देखना चाहते है तो शुरुआत हमें ही करनी है |